नई दिल्ली। मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश के लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का पर्सिवियरेंस मार्स रोवर गुरुवार देर रात मार्स पर उतरा। भारतीय समय अनुसार पर्सिवियरेंस एयरक्राफ्ट ने गुरुवार देर रात करीब ढाई बजे मार्स (मंगल) की सबसे खतरनाक सतह जेजेरो क्रेटर पर लैंडिग की। इस सतह पर कभी पानी हुआ करता था। नासा ने दावा किया है कि यह अब तक के इतिहास में रोवर की मार्स पर सबसे सटीक लैंडिंग है। पर्सीवरेंस रोवर लाल ग्रह से चट्टानों के नमूने भी लेकर आएगा। पर्सिवियरेंस रोवर के लाल ग्रह यानी मार्स की सतह पर लैंड करने के तुरंत बाद नासा ने इसकी पहली तस्वीर जारी की। माना जा रहा है कि नासा के इस मिशन से मंगल ग्रह के बारे में दुनिया को बड़ी जानकारी मिलेगी।
6 पहियों वाला रोबोट सात महीने में 47 करोड़ किलोमीटर की यात्रा पूरी कर तेजी से अपने लक्ष्य के करीब पहुंचा। आखिरी सात मिनट बेहद मुश्किल और खतरनाक रहे। इस वक्त यह सिर्फ 7 मिनट में 12 हजार मील प्रतिघंटे से 0 की रफ्तार पर आया। इसके बाद लैंडिंग हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी अपने ऑफिस में यह लैंडिंग देखी।
नासा के पर्सिवियरेंस मार्स रोवर ट्विटर हैंडल ने रोवर के लैंड करने पर अपनी पहली तस्वीर जारी की। इस तस्वीर के साथ नासा के पर्सिवियरेंस मार्स रोवर ने एक कैप्शन लिखा-‘हेलो दुनिया, मेरे अपने घर से मेरा पहला लुक।’ इसके अलावा, नासा ने कुछ वीडियो भी ट्वीट किए हैं, जिसमें रोवर के लैंड करते ही वैज्ञानिक खुशी से झूमते दिख रहे हैं।
Hello, world. My first look at my forever home. #CountdownToMars pic.twitter.com/dkM9jE9I6X
— NASA's Perseverance Mars Rover (@NASAPersevere) February 18, 2021
क्या है जजेरो क्रेटर?
जेजेरो क्रेटर लाल ग्रह यानी मंगल ग्रह का अत्यंत दुर्गम इलाका माना जाता है। जेजेरो क्रेटर एक तरह से गहरी घाटियां, तीखे पहाड़, नुकीले क्लिफ, रेत के टीले और पत्थरों का समूद्र है।
मिशन पर चौथी पीढ़ी का पांचवां रोवर
इससे पहले भी नासा के चार रोवर मंगल की सतह पर उतर चुके हैं। पर्सीवरेंस नासा का चौथी पीढ़ी का रोवर है। इससे पहले पाथफाइंडर अभियान के लिए सोजोनर को साल 1997 में भेजा गया था। इसके बाद 2004 में स्पिरिट और अपॉर्च्युनिटी को भेजा गया। वहीं 2012 में क्यूरिऑसिटी ने मंगल पर डेरा डाला था।
खौफ के सात मिनट
मंगल से पृथ्वी तक एक संकेत के आने में 11 मिनट लगते हैं। यानी जैसे ही नासा के वैज्ञानिकों को यान के मंगल के वायुमंडल में प्रवेश का संकेत मिला। तब तक रोवर मंगल की जमीन छू चुका था और ऐसा सकुशल हो चुके होने के लिए वैज्ञानिकों को अगले संकेतों का इंतजार करना पड़ा होगा। नासा के वैज्ञानिकों ने इस समय को खौफ के सात मिनट कहा है। उसके सामने कुछ चुनौतियां होंगी।
मिल सकते हैं कई सवालों के जवाब
छह पहिए वाला यह उपकरण मंगल ग्रह पर उतरकर जानकारी जुटाएगा और चट्टानों के नमूने भी लेकर आएगा, जिनसे इन सवालों का जवाब मिल सकता है कि क्या कभी लाल ग्रह पर जीवन था। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कभी मंगल ग्रह पर जीवन रहा भी था तो वह तीन से चार अरब साल पहले रहा होगा, जब ग्रह पर पानी बहता था। रोवर से दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े एक मुख्य सवाल का जवाब मिल सकता है। इस परियोजना के वैज्ञानिक केन विलिफोर्ड ने कहा, क्या हम इस विशाल ब्रह्मांड रूपी रेगिस्तान में अकेले हैं या कहीं और भी जीवन है? क्या जीवन कभी भी, कहीं भी अनुकूल परिस्थितियों की देन होता है?
1000 किलोग्राम वजनी
नासा के मार्स मिशन का नाम पर्सिवियरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर है। पर्सिवियरेंस रोवर 1000 किलोग्राम वजनी है। यह परमाणु ऊर्जा से चलेगा। पहली बार किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। यह रोवर मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करेगा। इसमें 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है। वहीं, हेलिकॉप्टर का वजन 2 किलोग्राम है।
पानी की खोज और जीवन की पड़ताल करेगा
पर्सीवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह पर कार्बन डाई-ऑक्साइड से ऑक्सीजन बनाने का काम करेंगे। यह जमीन के नीचे जीवन संकेतों के अलावा पानी की खोज और उनसे संबंधित जांच भी करेगा। इसका मार्स एनवायर्नमेंटल डायनामिक्स ऐनालाइजर (MEDA) मंगल ग्रह के मौसम और जलवायु का अध्ययन करेगा।
पर्सीवरेंस रोवर में 23 कैमरे
मंगल ग्रह के लेटेस्ट वीडियो और आवाज रिकॉर्ड करने के लिए पर्सीवरेंस रोवर में 23 कैमरे और दो माइक्रोफोन लगाए गए हैं। रोवर के साथ दूसरे ग्रह पर पहुंचा पहला हेलिकॉप्टर Ingenuity भी है। इसके लिए पैराशूट और रेट्रोरॉकेट लगे हैं। इसके जरिए ही स्मूद लैंडिंग हो सकी। अब रोवर दो साल तक जजीरो क्रेटर को एक्सप्लोर करेगा।