The hunter's empty blow Tony Jau's power did not show in the video game film

शिकारी का खाली गया वार, वीडियो गेम पर बनी फिल्म में नहीं दिखा टोनी जॉ का दम

वीडियो गेम के रोमांच को बड़े परदे की फिल्म के एहसास में बदलना आसान नहीं है। ये बात इन्हें बनाने वाले भी समझते हैं। लेकिन, कभी ‘पोकेमॉन’ तो कभी ‘डोरा द एक्सप्लोरर’ जैसे किरदारों की सिल्वर स्क्रीन पर कामयाबी इन्हें बॉक्स आॅफिस के जाल में उलझाए रखती है। लेकिन, असली बात जो वीडियो गेम पर आधारित किसी फिल्म में होनी ही चाहिए, वह है वीडियो गेम के वे मूल तत्व जो किसी खिलाड़ी को शुरू से आखिर तक इस गेम से जोड़े रखते हैं। फिल्में बनाने वाले अक्सर यहीं भूल कर जाते हैं। नतीजा बनती हैं ‘मॉन्स्टर हंटर’ जैसी फिल्में जिनका कोई सिर पैर नहीं होता। न इसमें कहीं वीडियो गेम के भव्य रूप जैसा कुछ दिखता है और ना ही कुछ ऐसा होता है कि गेम प्लेयर से दर्शक बना इंसान खुद को इससे जोड़ सके।

 

कहानी : फिल्म ‘मॉन्स्टर हंटर’ की शुरूआत रेगिस्तान पर भागते एक जहाज से होती है, जिस पर एक विशालकाय आकृति का हमला होता है। दूसरी तरफ धरती पर संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षाकर्मियों का एक काफिला जा रहा है। साथी टीम से मदद की पुकार सुनाई देती है और मदद के लिए पहुंचा ये काफिला खुद मुसीबत में घिर जाता है। पता चलता है कि एक और दुनिया है। इस दुनिया में विशालकाय जीव हैं। उनके पीछे शिकारी लगा है। सेना की टुकड़ी को वह आगाह भी करता है। लेकिन, दानव का हमला होता है। सब मारे जाते हैं।

एक्टिंग : फिल्म के कलाकारों में सबसे ज्यादा नाइंसाफी हुई है टोनी जॉ के साथ। ऐसी फिल्में ही हॉलीवुड के बाहर से आने वाले कलाकारों का हॉलीवुड स्टूडियोज पर से भरोसा तोड़ती है। टोनी जॉ की जो शोहरत एशियाई देशों में हैं, उसके हिसाब से उनका किरदार फिल्म में गढ़ा नहीं गया है।

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