A Thousand Splendid Sons: The Story of Afghan Women's Struggle

अ थाउजेंड स्प्लेंडिड संस : अफगानी महिलाओं के स्ट्रगल की कहानी…

क्लब लिटराटी द्वारा शनिवार को बुक डिस्कशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आॅनलाइन आयोजित हुए कार्यक्रम में शहर के बुक लवर्स ने अपनी भागीदारी दिखाई। इसमें अफगान-अमेरिकन राइटर खालिद हुसैनी की लिखी किताब ‘अ थाउजेंड स्प्लेंडिड’ पर चर्चा हुई। क्लब की प्रेसिडेंट सीमा रायजादा ने नॉवेल के आॅथर के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए एडीजी अरुणा मोहन राव ने कहा कि यह एक ऐसी किताब जब आप एक बार पढ़ने बैठते हैं, तो पूरी कंपलीट किए बिना खत्म नहीं कर सकते। इसको पढ़ते हुए लगता है कि रियल कैरेक्टर हैं और आपके आसपास की कहानी है। उन्होंने आॅथर खालिद के बारे में बताया कि अफगानिस्तान में जन्में हुसैनी ने कुल 4 नॉवेल लिखे हैं। इन चारों उपन्यासों का केंद्र अफगानिस्तान, युद्ध, अहिंसा, रिμयूजी, महिलाएं और बच्चे रहे हैं। किताब ‘अ थाउजेंड स्प्लेंडिड संस’ तानाशाही और युद्ध भूमि में तब्दील हुए अफगानिस्तान में महिलाओं की तत्कालिक स्थिति पर आधारित कहानी है। इस उपन्यास की जितनी तारीफ की जाए कम है। एक प्रशंसक के रूप में यह दावा किया जा सकता है कि यह किताब आप एक बार पढ़नी शुरू कर दें तो आंखें उठाने का मन तक नहीं करता। संजो कर रखें किताब चर्चा में आदिम जाति कल्याण तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल ने अफगानिस्तान में बिताए बचपन के दिनों को याद किया। साथ ही उन्होंने बताया कि खालिद हुसैनी हर रोज पढ़े जा सकते हैं। उनकी रचना हर काल में जीवंत रखी जा सकती है। उनकी लिखी रचना भविष्य में इतिहास का वह धरोहर साबित होगी, जिसे अच्छे से संजो कर रख लेना चाहिए।

अफगान समाज को किया बयां

कार्यक्रम के दौरान बुक लवर अर्चना जुल्फिकार ने बताया – मैंने तीन दिन पहले ही इस किताब को पढ़ा है। इससे पहले भी मैंने यह किताब पढ़ी है, लेकिन इसे बार -बार पढ़ने का मन करता है। खालिद हुसैनी द्वारा लिखी गई ये नॉवेल एक मां -बेटी की कहानी है। इस बुक में सबसे अधिक ध्यान स्त्री पात्रों और अफगान समाज में उनकी भूमिका पर केंद्रित किया गया है। मैं जब भी इस किताब को पढ़ती हूं, मुझे अच्छा लगता है। अफगानिस्तान की महिलाओं के स्ट्रगल आंखों के सामने नजर आने लगते है। राइटर डॉ. जयलक्ष्मी आर विनायक ने बताया कि ‘अ थाउजेंड स्प्लेंडिड संस’ कहानी में मरियम एक अवैध बच्ची, जो अपने जन्म से समबंधित कलंक और उसके दुष्प्रभाव से पीड़ित व्यवहार का सामना अपने वैवाहिक जीवन के दौरान करती है। मरियम के जन्म के एक पीढ़ी बाद पैदा हुई लैला को तुलनात्मक रूप से , युवावस्था तक कई विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं। लैला को मरियम के पति राशिद से शादी के लिए मजबूर किया जाता है।

 

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