नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का आज 31वां दिन है। 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान कानूनों को रदद् करने की मांग कर रहे हैं। इस बीच सरकार के साथ बातचीत को लेकर किसान संगठनों की आज अहम मीटिंग हो सकती है। इसमें शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों को दिए गए संबोधन पर भी चर्चा हो सकती है।
इससे पहले सरकार की चिट्ठी पर शुक्रवार को किसानों के बीच चर्चा हुई थी। मीटिंग में कुछ किसानों ने मामले का हल निकालने के लिए सरकार से बातचीत फिर से शुरू करने के संकेत दिए। किसान संगठनों के मुताबिक, वे आज फिर से मीटिंग करेंगे, जिसमें केंद्र सरकार के बातचीत के न्यौते पर फैसला लिया जा सकता है।
हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों से किसानों का दिल्ली पहुंचने का सिलसिला जारी है। 26 दिसंबर को पंजाब के खनौरी से और 27 दिसंबर को हरियाणा के डबवाली से 15-15 हजार किसान दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
गुरुवार को केंद्र ने लिखी थी चिट्ठी
सरकार ने गुरुवार को एक और चिट्ठी लिखकर किसानों से बातचीत के लिए दिन और समय तय करने की अपील की थी। चिट्ठी में कहा गया था कि किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए सरकार गंभीर है। सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि मिनिमम सपोर्ट प्राइज से जुड़ी कोई भी नई मांग जो नए कृषि कानूनों के दायरे से बाहर है, उसे बातचीत में शामिल करना तर्कसंगत नहीं होगा।
इससे पहले सरकार ने 20 दिसंबर को भी किसान नेताओं को खत लिखकर बातचीत का समय तय करने को कहा था, जिसे किसानों ने खारिज कर दिया था।
हरियाणा में 27 दिसंबर तक टोल फ्री
हरियाणा में किसानों ने शुक्रवार से टोल फ्री कर दिए। यह सिलसिला 27 दिसंबर तक जारी रहेगा। उधर, भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) ने कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी। भाकियू (भानु) गुट पहले ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ हो सकती है।