46th President of America who was surrounded by controversies know the important things of his political career

अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति ‘जो’ विवादों से घिरे रहे, जानिए उनके राजनीतिक करियर की अहम बातें

अमेरिका | वर्षों से अमेरिकी राष्ट्रपति बनने का सपना संजोए जो बाइडन की यह इच्छा शनिवार को आखिरकार पूरी हो गई। वह अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति चुने गए है।  अपने 50 साल के लंबे राजनीतिक करियर में जो ने कई बार इस पद का प्राप्त करना चाहा। 78 वर्षीय डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बाइडन राष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाले अपने देश के अब तक के सबसे बुजुर्ग नेता भी बन गए हैं।

बात करें यदि जो बाइडन के जन्म की तो 1942 में पेनिसिल्वेनिया के एक कैथोलिक परिवार में इनका जन्म हुआ था। जो रोबिनेट बाइडन जूनियर ने डेलावेयर यूनिविर्सिटी से पढ़ाई पूरी की और इसके बाद सिएराक्यूज यूनिवर्सिटी से 1968 में वकालत की।

बात की जाए यदि उनके राजनीतिक करियर की तो 30 साल की उम्र में 1972 में पहली बार वह डेलावेयर से देश के पांचवे सबसे कम उम्र सीनेटर के तौर पर चुने गए। इस सीट से छह बार सीनेटर चुने जा चुके बाइडन ने पहली बार राष्ट्रपति बनने का सपना 1988 में देखा था। इसके बाद 2008 में वह फिर से डेमोक्रेटिक उम्मीदवार चुने जाने की होड़ में उतरे, लेकिन इस बाद उन्हें देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने बराक ओबामा से पिछड़ना पड़ा। हालांकि ओबामा ने बाइडन के लंबे अनुभव और उनके देश विदेश में सम्मान को देखते हुए उन्हें अपने उपराष्ट्रपति के तौर पर साथ जोड़ा और यह साथ ओबामा के राष्ट्रपति पद पर दोनों कार्यकाल में जारी रहा।

ओबामा ने बाइडन को देश का आज तक का सर्वश्रेष्ठ उपराष्ट्रपति घोषित किया था। 2017 तक उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभालने वाले बाइडन इस बार तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के लिए मैदान में उतरे थे। इस बार डोनाल्ड ट्रंप से नाराज अश्वेत समुदाय ने बाइडन को चुनने के लिए उनकी तरफ से अश्वेत राष्ट्रपति ओबामा को उनके दो कार्यकाल में दिए समर्थन का भी ध्यान रखा।

विवादों से धिरी रही राजनीति
बाइडन का राजनीतिक करियर विवादों से धिरा रहा है। अपने करियर के प्रारम्भ में उन्होंने स्कूलों को नस्लीय रूप से संगठित करने के लिए किए जा रहे प्रयास का विरोध कर रहे दक्षिणपंथी अलगाववादियों का समर्थन किया। 1988 में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के दौरान उन पर ब्रिटिश लेबर पार्टी के तत्कालीन नेता नील किनॉक के भाषण की लाइनें चुराने का आरोप लगा। इसके बाद 1991 में वे सीनेट की न्यायिक समिति के चेयरमैन के तौर पर भी दो मामलों के निस्तारण को लेकर विवादों में रहे। इनमें से एक अनीता हिल का अपने साथ यौन उत्पीड़न का आरोप था।

1993 में बाइडन पर सीनेट की पूर्व कर्मचारी तारा रेडे ने यौन हमले का आरोप लगाया था। बाइडन 1994 का विवादित क्राइम बिल तैयार करने वालों में से एक रहे, जिसे बड़े पैमाने पर बंदियों की संख्या बढ़ने, लंबी सजाएं सुनाए जाने और अधिक से अधिक जेलों की बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार माना जाता है। 2012 में उन्होंने एलजीबीटी लोगों के अधिकारों की वकालत भी की और कहा कि उन्हें एक ही लिंग के लोगों के आपस में शादी करने पर कोई ऐतराज नहीं है।

किन-किन पदों पर रहे

  • 1987 से 1995 तक अमेरिकी सीनेट न्यायिक समिति के चेयरमैन
  • 2001 से 2003 तक अमेरिकी सीनेट विदेशी संबंध समिति के चेयरमैन
  • 2007 से 2009 तक अमेरिकी सीनेट विदेशी संबंध समिति के चेयरमैन
  • 2007 से 2009 तक इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल कॉकस के चेयरमैन
  • 2009 से 2017 तक अमेरिका के उपराष्ट्रपति पद पर तैनात रहे
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