बर्लिन। संयुक्त राष्ट्र की इंटरगवर्नमेंटल पैनल आन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पृथ्वी की औसत सतह का तापमान, साल 2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। ये बढ़ोतरी पूवार्नुमान से एक दशक पहले हो जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते तापमान से दुनिया भर में मौसम से जुड़ी भयंकर आपदाएं आएंगी। दुनिया पहले ही, बर्फ की चादरों के पिघलने, समुद्र के बढ़ते स्तर और बढ़ते अम्लीकरण में अपरिवर्तनीय बदलाव झेल रही है।
आशंका- 2 मीटर तक बढ़ सकता है समुद्र का जलस्तर
अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं का मानना है कि इस शताब्दी के अंत तक समुद्र का जलस्तर लगभग दो मीटर तक बढ़ सकता है। लेकिन इसके साथ ही ये उम्मीद जुड़ी हुई है कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में बड़ी कटौती करके बढ़ते तापमान को स्थिर किया जा सकता है।
मिल-जुलकर त्रासदी को टाला जा सकता है : गुटरेश
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेश का कहना है कि ‘आईपीसीसी वर्किंग ग्रुप की पहली रिपोर्ट मानवता के लिए खतरे का संकेत है।’ मिल-जुलकर जलवायु त्रासदी को टाला जा सकता है, लेकिन ये रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि इसमें देरी की गुंजाइश नहीं है और अब कोई बहाना बनाने से भी काम नहीं चलेगा।
क्यों महत्वपूर्ण है रिपोर्ट?
विशेषज्ञों के अनुसार सरकारों के लिए उत्सर्जन कटौती को लेकर यह रिपोर्ट ”एक बड़े स्तर पर चेताने वाली ” है। जलवायु परिवर्तन पर आईपीसीसी ने पिछली बार 2013 में अध्ययन किया था और वैज्ञानिकों का मानना है कि उन्होंने उसके बाद से बहुत कुछ सीखा है। बीते सालों में दुनिया ने रिकॉडर् तोड़ तापमान, जंगलों में आग लगना और विनाशकारी बाढ़ की घटना देखी है। कुछ दस्तावेज बताते हैं कि इंसानों के कारण हुए बदलावों ने असावधानीपूर्ण तरीके से पर्यावरण को ऐसा बना दिया है जो कि हजारों सालों में भी वापस बदला नहीं जा सकता है।
14 हजार से अधिक कागजातों का किया गया अध्ययन
इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के इंटरगवर्नमेंटल पैनल आन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने तैयार किया है जिसने 14,000 से अधिक वैज्ञानिक कागजात का अध्ययन किया है।