We have come together to stay together- Uddhav Thackeray

हम साथ रहने के लिए एक साथ आए हैं- उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर बड़ा भूचाल आया है। शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे के हालिया बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उद्धव ठाकरे ने कहा है कि वे और उनके चचेरे भाई मनसे प्रमुख राज ठाकरे मिलकर महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज होने की योजना बना रहे हैं। यह बयान न केवल एक राजनीतिक संकेत है, बल्कि राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ लाने वाला भी साबित हो सकता है। यह पहली बार नहीं है जब ठाकरे परिवार को लेकर राजनीति गरमाई हो, लेकिन यह बयान दोनों भाइयों के वर्षों पुराने मतभेदों को भुलाकर एक साथ आने की संभावनाओं को बल देता है।

पृष्ठभूमि
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, दोनों शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के भतीजे और बेटे हैं। जहां उद्धव ठाकरे ने शिवसेना की बागडोर संभाली, वहीं राज ठाकरे ने मतभेदों के कारण 2006 में अपनी पार्टी “महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना” (मनसे) का गठन किया। शुरू में मनसे ने मुंबई और महाराष्ट्र के शहरी इलाकों में अच्छा प्रभाव बनाया, लेकिन धीरे-धीरे उनकी राजनीतिक पकड़ कमजोर होती गई। वहीं उद्धव ठाकरे ने शिवसेना को महाराष्ट्र की प्रमुख राजनीतिक ताकत बनाए रखा।

हालिया बयान की अहमियत
उद्धव ठाकरे के इस बयान की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि महाराष्ट्र में वर्तमान समय में महागठबंधन और भाजपा के बीच राजनीतिक जंग तेज हो गई है। शिंदे गुट के साथ भाजपा की सरकार बनने के बाद उद्धव ठाकरे विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में राज ठाकरे के साथ गठबंधन की बात करना एक बड़ी रणनीतिक चाल मानी जा रही है।

क्या कहा उद्धव ठाकरे ने?
एक सार्वजनिक सभा में उद्धव ठाकरे ने कहा:
“अब समय आ गया है कि हम पुरानी बातें भुलाकर एकजुट हों। राज और मैं अगर साथ आएं, तो महाराष्ट्र की राजनीति को एक नई दिशा मिल सकती है। यह राज्य हमारी विचारधारा और संस्कारों से बना है, इसे बांटने वालों के खिलाफ हमें मिलकर लड़ना होगा।”
इस बयान ने जहां शिवसैनिकों और मनसे कार्यकर्ताओं में उत्साह भर दिया, वहीं भाजपा और शिंदे गुट में बेचैनी साफ नजर आ रही है।

राज ठाकरे की प्रतिक्रिया
राज ठाकरे ने इस बयान पर अब तक कोई सीधा जवाब नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो मनसे के वरिष्ठ नेताओं के साथ एक बंद कमरे में बैठक हुई है, जिसमें इस गठबंधन की संभावनाओं पर विचार किया गया। अगर राज ठाकरे इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं, तो यह दोनों पार्टियों के लिए “गेम चेंजर” साबित हो सकता है।

राजनीतिक समीकरणों पर असर
अगर उद्धव और राज ठाकरे एक हो जाते हैं, तो महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा फेरबदल हो सकता है। इस गठबंधन से:

  1. मराठी मतदाता – जो वर्षों से विभाजित था, एक बार फिर एकजुट हो सकता है।
  2. भाजपा और शिंदे गुट की चिंता – दोनों को मराठी अस्मिता के मुद्दे पर कड़ी चुनौती मिल सकती है।
  3. विपक्ष की एकजुटता – कांग्रेस और एनसीपी शरद पवार गुट इस गठबंधन से और मजबूत हो सकते हैं।
  4. मनसे को नया जीवन – मनसे, जो पिछले कुछ वर्षों से लगभग हाशिए पर थी, उसे फिर से उभरने का मौका मिल सकता है।

चुनाव पूर्व तैयारियां
महाराष्ट्र में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी दल अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। अगर उद्धव-राज गठबंधन साकार होता है, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। 2024 के लोकसभा चुनावों में भी ठाकरे गुट ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी, और अब विधानसभा चुनावों में यह गठबंधन निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

चुनौतियां और अड़चनें
हालांकि यह गठबंधन आसान नहीं होगा। कुछ प्रमुख अड़चनें:

  1. नेतृत्व का प्रश्न – कौन होगा गठबंधन का नेता? उद्धव या राज?
  2. विचारधारा में अंतर – मनसे का रुख भाजपा के प्रति नरम रहा है, जबकि उद्धव अब उनके कट्टर विरोधी बन चुके हैं।
  3. पार्टी कार्यकर्ताओं की सहमति – दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं में वर्षों की टकराव की भावना है, जिसे खत्म करना आसान नहीं।
  4. संवैधानिक अड़चनें – शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह अभी भी विवादों में है।

जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया और आम जनता में इस बयान की काफी चर्चा हो रही है। बहुत से लोग इसे ठाकरे परिवार के पुनर्मिलन की आशा के रूप में देख रहे हैं। एक बड़ा तबका ऐसा भी है जो मानता है कि यदि यह गठबंधन होता है तो मराठी समाज को एक नई राजनीतिक ताकत मिल सकती है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह सिर्फ चुनावी स्टंट है।

उद्धव ठाकरे का यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। अगर राज ठाकरे भी इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं, तो यह न केवल ठाकरे परिवार की पुरानी दूरी को खत्म करेगा, बल्कि एक मजबूत मराठी राजनीतिक शक्ति का उदय भी होगा। भाजपा और शिंदे गुट के लिए यह खतरे की घंटी हो सकती है। अब सबकी निगाहें राज ठाकरे की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। अगर वह सकारात्मक जवाब देते हैं, तो आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा भूचाल आ सकता है।

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