इंदौर, 12 जून 2025: बाल भवन इंदौर ने बच्चों की छिपी हुई प्रतिभाओं को निखारने के उद्देश्य से मांडना आर्ट कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला विशेष रूप से राजस्थान, मालवा और निमाड़ क्षेत्र की लोक कला मांडना पर आधारित थी, जो दीवारों या जमीन पर बनाई जाती है और खास अवसरों पर सजावट के रूप में प्रयोग होती है।
मांडना कला: एक सांस्कृतिक धरोहर
मांडना कला भारतीय लोक कला की एक महत्वपूर्ण विधा है, जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा की जाती है। इसमें चूने, आटे या रंगीन पाउडर से विभिन्न ज्यामितीय और पुष्पाकृति डिज़ाइन बनाए जाते हैं। मांडना न केवल घर की सुंदरता बढ़ाता है, बल्कि यह शुभता और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।
कार्यशाला का उद्देश्य और गतिविधियाँ
बाल भवन इंदौर के संचालक श्री विष्णु प्रताप सिंह राठौर ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों में कला के प्रति रुचि उत्पन्न करना और उनकी सृजनात्मक क्षमता को बढ़ावा देना है। शिविर में बच्चों को मांडना कला की विभिन्न तकनीकों से परिचित कराया गया, जिससे उन्होंने अपनी कल्पनाओं को कागज पर उकेरने का अभ्यास किया।
कार्यशाला में बच्चों को न केवल मांडना कला, बल्कि नृत्य, गायन, कंप्यूटर क्लास, इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक, और स्पोकन इंग्लिश जैसी विधाओं का भी प्रशिक्षण दिया गया। इन सभी प्रयासों से बच्चों में रचनात्मकता का विकास हो रहा है और शिविरों में बच्चों का उत्साह अत्यधिक देखा जा रहा है।
बाल भवन इंदौर की सांस्कृतिक पहल
बाल भवन इंदौर का यह पहल बच्चों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह संस्था बच्चों को कला, संस्कृति और शिक्षा के विभिन्न आयामों से परिचित कराती है, जिससे वे मानसिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनते हैं।
आगामी योजनाएँ और विकास
बाल भवन इंदौर के इस प्रयास को और भी सशक्त बनाने के लिए, शहर में एक हाईटेक कला संकुल का निर्माण किया जा रहा है। यह कला संकुल इंदौर स्मार्ट सिटी मिशन के तहत तैयार हो रहा है, जिसमें आर्ट गैलरी, डांस और ड्रामा हॉल, मल्टीपरपज हॉल, और ओपन एयर एम्फीथियेटर जैसी सुविधाएँ होंगी। इससे बच्चों और कलाकारों को कला के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखाने का एक बेहतरीन मंच मिलेगा।
बाल भवन इंदौर द्वारा आयोजित मांडना आर्ट कार्यशाला न केवल बच्चों की कला में रुचि को बढ़ावा देती है, बल्कि उन्हें भारतीय लोक कला से भी परिचित कराती है। ऐसे आयोजनों से बच्चों में सृजनात्मकता और आत्मविश्वास का विकास होता है, जो उनके भविष्य को उज्जवल बनाता है।
इस प्रकार की पहलें बच्चों को कला और संस्कृति के प्रति जागरूक करती हैं और उन्हें अपने कौशल को निखारने का अवसर प्रदान करती हैं।