इंदौर में बुधवार शाम को एक बड़ी घटना घटी, जब टाटा स्टील के पास स्थित केबी इंडस्ट्रीज की रूई फैक्ट्री में भीषण आग लग गई। यह फैक्ट्री गिरीश नरसरिया के स्वामित्व में है और किला मैदान क्षेत्र में स्थित है, जो कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बंगले के सामने है। आग के कारण लाखों रुपये का माल जलकर खाक हो गया, लेकिन गनीमत रही कि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई।
आग लगने का कारण और प्रारंभिक स्थिति
शाम करीब 6:20 बजे फैक्ट्री से धुआं निकलते देखा गया, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचित किया। सूचना मिलने के लगभग 15 मिनट बाद दमकल की गाड़ियाँ मौके पर पहुंचीं। प्रारंभिक जांच में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। फैक्ट्री में रखा रूई का कच्चा माल और तेज हवा ने आग की तीव्रता को और बढ़ा दिया।
दमकल की टीम की कार्रवाई
दमकल विभाग की टीम ने आग पर काबू पाने के लिए कड़ी मेहनत की। नगर निगम कमिश्नर शिवम वर्मा ने वायरलेस सेट के माध्यम से कर्मचारियों को समय पर टैंकर भेजने के निर्देश दिए। लगभग 1.5 लाख लीटर पानी का उपयोग करके आग पर काबू पाया गया, लेकिन फैक्ट्री के अंदर से अभी भी धुआं निकल रहा है, जिससे पूरी तरह से राहत नहीं मिल पाई है।
बारिश का असर और ट्रैफिक की स्थिति
हालाँकि, बुधवार शाम को हल्की बारिश हुई, लेकिन इसका आग पर कोई विशेष असर नहीं पड़ा। तेज हवा के कारण आग तेजी से फैल रही थी, जिससे आसपास के क्षेत्रों में भी धुआं फैल गया। आग के कारण किला मैदान क्षेत्र में ट्रैफिक प्रभावित हुआ, जिससे लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ा।
फायर ब्रिगेड की तैयारियों पर सवाल
हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर फायर ब्रिगेड विभाग को पुराने उपकरणों और कर्मचारियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 27 वर्षों में शहर में कोई नया फायर स्टेशन नहीं खोला गया है, और पिछले 19 वर्षों में कोई नया वाहन भी नहीं खरीदा गया है। इसके परिणामस्वरूप, विभाग की कार्यक्षमता पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसी स्थितियों में, नगर निगम और राज्य सरकार को फायर ब्रिगेड विभाग की सुविधाओं और संसाधनों को बढ़ाने की आवश्यकता है।
इंदौर के किला मैदान क्षेत्र में स्थित केबी इंडस्ट्रीज की रूई फैक्ट्री में लगी आग ने एक बार फिर औद्योगिक सुरक्षा की आवश्यकता को उजागर किया है। हालांकि इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन लाखों रुपये का माल जलकर नष्ट हो गया। नगर निगम और राज्य सरकार को फायर ब्रिगेड विभाग की सुविधाओं और संसाधनों को बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके और जनहानि को रोका जा सके।
इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों को और सख्त करने की आवश्यकता है। फैक्ट्रियों में आग सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता, कर्मचारियों की सुरक्षा प्रशिक्षण और नियमित निरीक्षण जैसे उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके साथ ही, स्थानीय प्रशासन को भी औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों की नियमित निगरानी करनी चाहिए।
कुल मिलाकर, यह घटना एक चेतावनी है कि औद्योगिक सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सभी संबंधित पक्षों को मिलकर ऐसे उपायों को लागू करना चाहिए, जो भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में सहायक हों।