101 government schools of Indore district declared “tobacco free”: An exemplary initiative

इंदौर जिले के 101 शासकीय स्कूल घोषित हुए “तंबाकू मुक्त”: एक अनुकरणीय पहल

इंदौर, 11 जून 2025 — मध्य प्रदेश के इंदौर जिले ने एक बार फिर सामाजिक चेतना और जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। जिले के 101 शासकीय स्कूलों को औपचारिक रूप से “तंबाकू मुक्त” (Tobacco-Free School) घोषित कर दिया गया है। यह उपलब्धि राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP) के अंतर्गत जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है। इस कदम को स्वास्थ्य और शिक्षा जगत में एक ऐतिहासिक पहल के रूप में देखा जा रहा है।

📜 तंबाकू मुक्त स्कूलों को प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को चिह्नित करने के लिए आज दिनांक 11 जून 2025, बुधवार को सुबह 11:30 बजे, शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय बाल विनय मंदिर, इंदौर में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस जिला स्तरीय समारोह की अध्यक्षता संभागायुक्त श्री दीपक सिंह ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में कलेक्टर श्री आशीष सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में सभी 101 स्कूलों को तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। यह सभी स्कूल NTCP द्वारा निर्धारित 11 मानकों में से 90% या उससे अधिक स्कोर प्राप्त करने में सफल रहे हैं।

👨‍🏫 नेतृत्व और भागीदारी: प्रशासन, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग का सामंजस्य

इस सफलता के पीछे इंदौर के कलेक्टर श्री आशीष सिंह का विशेष योगदान रहा। उनके नेतृत्व में जिले के शासकीय स्कूलों ने एकजुट होकर इस पहल को मूर्त रूप दिया। सह-जिला नोडल अधिकारी और जिला पंचायत के सीईओ श्री सिद्धार्थ जैन ने बताया कि स्कूलों के आसपास तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर न केवल सख्ती से रोक लगाई गई, बल्कि छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को तंबाकू के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं और जनजागरूकता अभियान भी आयोजित किए गए।

🚫 तंबाकू पर रोक: क्यों है यह आवश्यक?

भारत में हर साल लाखों लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों का शिकार होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, तंबाकू सेवन से होने वाली बीमारियां वैश्विक स्तर पर मृत्यु का एक प्रमुख कारण हैं। खासकर किशोर अवस्था में तंबाकू की शुरुआत भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है।

इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए इंदौर जिला प्रशासन ने विद्यालयों को तंबाकू मुक्त बनाकर बच्चों के भविष्य की रक्षा करने का बीड़ा उठाया है। इस पहल से छात्रों को एक स्वस्थ और प्रेरणादायक वातावरण मिलेगा, जिससे उनमें सकारात्मक आदतें विकसित होंगी।

🏫 कैसे बनाए गए स्कूल “तंबाकू मुक्त”?

तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थानों के लिए कुछ प्रमुख मापदंडों को लागू किया गया, जिनमें शामिल हैं:

  1. स्कूल परिसर और 100 गज के भीतर तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक।
  2. छात्रों को तंबाकू के नुकसान पर नियमित जागरूकता कार्यक्रम।
  3. शिक्षकों और स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण।
  4. नियमित निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली।
  5. तंबाकू विरोधी संदेशों वाले बोर्ड और संकेतक।

इन सभी बिंदुओं को अमल में लाकर इन 101 स्कूलों ने NTCP के दिशा-निर्देशों का पालन किया और सफलतापूर्वक “तंबाकू मुक्त” का दर्जा प्राप्त किया।

👮‍♂️ कानूनी और प्रशासनिक सहयोग

इस पहल को सफल बनाने में पुलिस विभाग, स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग के बीच प्रभावी समन्वय देखने को मिला। स्कूलों के आसपास तंबाकू बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई और निरीक्षण दलों ने नियमित रूप से निगरानी की।

स्वास्थ्य विभाग की टीमें अब भी समय-समय पर स्कूलों का निरीक्षण करती रहेंगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि तंबाकू मुक्त नीति केवल कागज़ों तक सीमित न रहे, बल्कि जमीनी स्तर पर लागू हो।

🌱 भविष्य की योजनाएं: और भी स्कूलों को जोड़ने की तैयारी

इंदौर जिले की इस पहल के बाद प्रशासन अब इसे एक व्यापक आंदोलन का रूप देना चाहता है। कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने स्पष्ट किया कि अगला लक्ष्य जिले के सभी स्कूलों और कॉलेजों को तंबाकू मुक्त बनाना है। इसके लिए जागरूकता अभियानों के साथ-साथ सख्त नियमों को लागू करने की योजना बनाई गई है।

“हमारा उद्देश्य बच्चों को स्वस्थ भविष्य देना है। यह पहल केवल एक शुरुआत है,” कलेक्टर ने कहा।

📰 मीडिया और समाज से अपील

प्रशासन ने मीडिया और सामाजिक संगठनों से भी इस अभियान को जन-जन तक पहुंचाने में सहयोग की अपील की है। तंबाकू सेवन की रोकथाम केवल प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है।

🔚 निष्कर्ष: इंदौर की पहल देशभर के लिए उदाहरण

इंदौर जिले की यह मुहिम केवल एक जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देशभर के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बन चुकी है। जब स्कूल, प्रशासन और समाज मिलकर काम करते हैं, तब सकारात्मक परिवर्तन संभव है।

बाकू मुक्त स्कूलों की यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ, सुरक्षित और उज्जवल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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